नई दिल्ली | Dhanteras 2021: आज मंगलवार को देश में धनतेरतस का त्योहार मनाया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पावन पर्व आता है। पांच दिन के दिवाली त्योहार की शुरुआत भी धनतेरस के दिन से ही होती है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी जी के साथ माता लक्ष्मी जी और कुबेर देव जी की पूजा का भी विधान है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस दिन दक्षिण दिशा में यम के नाम का दीया भी जलाया जाता है।
शुभ माना जाता है खरीददारी करना – Dhanteras Shopping
धनतेरस के दिन खरीददारी करना शुभ माना गया है। ऐसे करने से पूरे साल घर में माता लक्ष्मी जी निवास करती है और उनकी असीम कृपा सदैव बनी रहती है। लेकिन इसके लिए ज्यातिषशास्त्रानुसार शुभ मुहूर्त बताए गए हैं जिनमें ही खरीददारी को श्रेष्ठ माना गया है।
Dhanteras 2021: शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे। ऐसे में भगवान धनवंतरी की कृपा पाने के लिए इस दिन खरीददारी की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन सोना, चांदी, गाड़ी, बर्तन, कपड़े आदि की खरीददारी शुभ फल देती है। खासतौर से इस दिन बर्तन खरीदे जाते हैं।
धनतेरस पर खरीददारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन सुबह 11:30 से खरीददारी का मुहूर्त बन रहा है। अगर सोने चांदी के आभूषण खरीदने के लिए शाम 6 बजकर 17 मिनट से 8 बजकर 12 मिनट तक का मुहूर्त शुभ है। बर्तन आदि खरीदने के लिए शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक का समय उत्तम रहेगा।
राहुकाल में भूलकर भी नहीं करें खरीददारी
धनतेरस के दिन दोपहर 2 बजकर 50 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट तक का समय राहुकाल का रहेगा। ऐसे में इस समय में भूलकर भी कोई खरीददारी नहीं करें।
धनतेरस पूजा मुहूर्त – Dhanteras 2021 Shubh Muhurat
धनतेरस की शुरुआत आज 2 नवंबर को सुबह 11:31 बजे से हो जाएगी। जिसका समापन 3 नवंबर सुबह 9:02 बजे होगा। धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 17 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। साथ ही धनतेरस पर यम के नाम का दीपक शाम 5:35 बजे से 6:53 बजे तक जलाया जा सकता है।
धनतेरस पर पूजा-अर्चना की विधि
धनतेरस की पूजा का बड़ा महत्व है। इसी दिन से दीपों के पर्व दीपावाली की शुरूआत होती है। धनतेरस के दिन घर की सफाई कर सुबह स्नान आदि करके तैयार हो जाएं। इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान धनवंतरी, माता लक्ष्मी की पूजा करें। इसके बाद भगवान धनवंतरी और माता लक्ष्मी जी की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें। शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीपदान करें।