दिवाली 2021: दिवाली के दिन ऐसे करें देवी लक्ष्मी और श्रीगणेश की पूजा, घर और ऑफिस के लिए खास पूजाविधि

दिल्ली | घर को स्वच्छ कर पूजा-स्थान को भी पवित्र कर लें। स्वयं स्नान आदि कर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शाम के शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी व भगवान श्रीगणेश की पूजा प्रारंभ करें। लक्ष्मी पूजा के लिए एक उठे हुए मंच पर दाहिने हाथ की ओर एक लाल कपड़ा रखे। उस पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों को रेशमी कपड़े और सजाकर स्थापित करे। मतलब किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर गणेशजी और उनके दाहिने भाग में महालक्ष्मी की मूर्ति रखे। श्रीमहालक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही साफ बर्तन में कुछ रुपए रखें। इसके बाद नवग्रह देवताओं को स्थापित करने के लिए उठे हुए चबूतरे पर बायीं ओर सफेद कपड़ा रखेष सफेद कपड़े पर नवग्रह स्थापित करने के लिए अक्षत (अखंड चावल) के नौ समूह बनाए। उधर लाल कपड़े पर गेहूं या गेहूं के आटे के सोलह ढेर। ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

– पूर्व या उत्तर की मुंह करके अपने ऊपर तथा पूजा-सामग्री पर निम्न मंत्र पढ़कर जल छिड़कें-

ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।

– इसके बाद हाथ में जल और चावल लेकर पूजा का संकल्प करें-

ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य मासोत्तमे मासे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे पुण्यायाममावास्यायां तिथौ वासरे (वार बोलें) गोत्रोत्पन्न: (गोत्र बोलें)/ गुप्तोहंश्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलावाप्तिकामनया ज्ञाताज्ञातकायिकवाचिकमानसिक सकलपापनिवृत्तिपूर्वकं स्थिरलक्ष्मीप्राप्तये श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थं महालक्ष्मीपूजनं कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये। तदड्त्वेन गौरीगणपत्यादिपूजनं च करिष्ये।

– ऐसा कहकर संकल्प का जल छोड़ दें। नई प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिए बाएं हाथ में चावल लेकर इन मंत्रों को पढ़ते हुए दाहिने हाथ से उन चावलों को प्रतिमा पर छोड़े-

ऊं मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिमं दधातु। विश्वे देवास इह मादयन्तामोम्प्रतिष्ठ।।

ऊं अस्यै प्राणा: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च।

अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।।

– मूर्ति स्थापना के बाद पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। फिर कलश पूजन तथा षोडशमातृका (सोलह देवियों का) पूजन करें। इसके बाद प्रधान पूजा में मंत्रों से भगवती महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।

– ऊं महालक्ष्म्यै नम:- के मंत्र से भी पूजा की जा सकती है। विधिपूर्वक श्रीमहालक्ष्मी की पूजा के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें- ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

सुरासुरेंद्रादिकिरीटमौक्तिकै-

र्युक्तं सदा यक्तव पादपकंजम्।

परावरं पातु वरं सुमंगल

नमामि भक्त्याखिलकामसिद्धये।।

भवानि त्वं महालक्ष्मी: सर्वकामप्रदायिनी।।

सुपूजिता प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मि नमोस्तु ते।।

नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये।

या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात् त्वदर्चनात्।।

ऊं महालक्ष्म्यै नम:, प्रार्थनापूर्वकं समस्कारान् समर्पयामि। ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

– प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें। आखिर में कृतोनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम्, न मम। यह बोल सभी पूजन कर्म भगवती महालक्ष्मी को समर्पित करें और जल छोड़ें।

देहली विनायक पूजन

मतलब  दुकान या ऑफिस में दीवारों पर ऊं श्रीगणेशाय नम:, स्वस्तिक चिह्न, शुभ-लाभ सिंदूर से लिखा जाना।  लिख कर इन शब्दों पर ऊं देहलीविनायकाय नम: इस नाम मंत्र द्वारा गंध-पुष्पादि से पूजा करें।

श्रीमहाकाली (दवात) पूजा

– स्याहीयुक्त दवात (स्याही की बोतल) को महालक्ष्मी के सामने फूल व चावल के ऊपर रखकर उस पर सिंदूर से स्वस्तिक बनाएंतथा मौली लपेट दें और बोले-

ऊं श्रीमहाकाल्यै नम:

– इस नाम मंत्र से गंध-फूल आदि पंचोपचारों से या षोडशोपचारों से दवात व भगवती महाकाली की पूजा करके आखिर में यह मंत्र बोलकर प्रार्थनापूर्वक प्रणाम करें-

कालिके त्वं जगन्मातर्मसिरूपेण वर्तसे।

उत्पन्ना त्वं च लोकानां व्यवहारप्रसिद्धये।।

या कालिका रोगहरा सुवन्द्या भक्तै: समस्तैव्र्यवहारदक्षै:।

जनैर्जनानां भयहारिणी च सा लोकमाता मम सौख्यदास्तु।।

लेखनी पूजा

– लेखनी (कलम) पर मौली बांधकर सामने रख लें और यह श्लोक बोले

लेखनी निर्मिता पूर्वं ब्रह्मणा परमेष्ठिना।

लोकानां च हितार्थय तस्मात्तां पूज्याम्यहम्।।

ऊं लेखनीस्थायै देव्यै नम:

– इस नाममंत्र द्वारा गंध, फूल, चावल आदि से पूजा कर इस प्रकार प्रार्थना करें-

शास्त्राणां व्यवहाराणां विद्यानामाप्युयाद्यात:।

अतस्त्वां पूजयिष्यामि मम हस्ते स्थिरा भव।।

बहीखाता पूजा (Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

– बहीखाता पर रोली या केसर युक्त चंदन से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं एवं थैली में पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, चावल, दूर्वा और कुछ रुपए रखकर उससे सरस्वती का पूजन करें। सर्वप्रथम सरस्वती का ध्यान इस प्रकार करें-

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।।

ऊं वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम:

इसके बाद गंध, फूल, चावल आदि अर्पित कर पूजा करें।

कुबेर पूजा

– तिजोरी या जहां भी धन रुपए रखते है वहा या संदूक के ऊपर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और फिर भगवान कुबेर को इस मंत्र से आह्वान करें-

आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु।

कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।

इसके बाद ऊं कुबेराय नम: इस नाम मंत्र से गंध, फूल आदि से पूजन कर अंत में इस प्रकार प्रार्थना करें-

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।

भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।। ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

प्रार्थना करके हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, रुपए, दूर्वादि से युक्त थैली तिजोरी मे रखें।

तुला (तराजू) पूजा

– सिंदूर से तराजू पर स्वस्तिक बनाएं। मौली लपेटकर तुला देवता का इस मंत्र से ध्यान करें-

नमस्ते सर्वदेवानां शक्तित्वे सत्यमाश्रिता।

साक्षीभूता जगद्धात्री निर्मिता विश्वयोनिना।।

– ध्यान के बाद- ऊं तुलाधिष्ठातृदेवतायै नम:

मंत्र के साथ गंध, चावल आदि से पूजन कर नमस्कार करें।

दीपमालिका (दीपक) पूजा ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

– एक थाली में 11, 21 या उससे अधिक दीपक जलाकर महालक्ष्मी के समीप रखकर उस दीपज्योति का ऊं दीपावल्यै नम:इस नाम मंत्र से गंधादि से पूजा कर इस प्रकार प्रार्थना करें-

त्वं ज्योतिस्त्वं रविश्चनद्रो विद्युदग्निश्च तारका:।

सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नम:।।

– दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। धान का लावा (खील) गणेश, महालक्ष्मी व सभी देवी-देवताओं को अर्पित करें।

कैसे करें महालक्ष्मी की आरती?

आरती के लिए थाली में स्वस्तिक मांगलिक चिह्न बनाकर चावल व फूलों के आसन पर घी का दीपक जलाएं। एक अलग थाली में कर्पूर रख कर रख लें। आरती की थाली में ही एक कलश में जल लेकर स्वयं पर छिड़क लें। आसन पर खड़े होकर पारिवारजनों के साथ महालक्ष्मीजी की यह आरती करें-

ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।

तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं…।।

दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं…।।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं…।।

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं…।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।

खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं…।।

शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं…।।

महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं…।।

– दोनों हाथों में कमल आदि फूल लेकर हाथ जोड़ यह मंत्र बोलें-

ऊं या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:

पापात्मनां कृतधियां ह्रदयेषु बुद्धि:।

श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा

तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्।।

ऊं श्रीमहालक्ष्म्यै नम:, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयमि।

– फिर फूल महालक्ष्मी पर चढ़ाएं। प्रदक्षिणा कर प्रणाम करें, और हाथ जोड़कर कोई कमी रही हो तो क्षमा प्रार्थना करें- ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि।।

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।

सरजिजनिलये सरोजहस्ते धनलतरांशुकगंधमाल्यशोभे।

भगवति हरिवल्वभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।

– वापिस प्रणाम करके ऊं अनेन यथाशक्त्यर्चनेन श्रीमहालक्ष्मी: प्रसीदतु, यह कहकर जल छोड़ दें। ब्राह्मण व गुरुजनों को प्रणाम कर चरणामृत और प्रसाद बांटे।

– इसके बाद चावल लेकर श्रीगणेश व महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर सभी आवाहित, प्रतिष्ठित और पूजित देवताओं पर चावल छोड़ते हुए इस मंत्र से पूजा संपन्न करें-

यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।

इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनरागमनाय च।।

और इस तरह महालक्ष्मी को सच्चे मन, आस्था अनुसार बुलाने, आव्हान करने, घर में सुख-समृद्धि का वास बनवाने के लिए संपन्न हुआ दीपावली पूजन। ( Worship of Goddess Lakshmi and Ganesha)

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