“परशुराम हमारे इतिहास के पहले ऐसे विद्वान् अर्थात ब्राह्मण पात्र हैं जिन्होंने किसी राजा को दंड देने के लिए राजाओं को ही एक जुटकर उससे लोहा लिया। इसके पूर्व पुरुरवा, वेन, नहुष, शशाद जैसे राजाओं की दुष्टताओं या लापरवाहियों को दंडित करने के लिए ऋषि या ब्राह्मण अपने ही स्तर पर स्वयं आगे आए थे।“