मां दंतेश्वरी मंदिर की प्रसिद्धि न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश के दूसरे राज्यों में भी फैल चुकी है। मंदिर के निर्माण, मूर्ति और पूजा के संबंध में कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई है
रायपुर. पुरानी बस्ती स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर की प्रसिद्धि न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश के दूसरे राज्यों में भी फैल चुकी है। मंदिर के निर्माण, मूर्ति और पूजा के संबंध में कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई है।
आमतौर पर मंदिरों में पूजा-पाठ का दायित्व ब्राह्मणों के हाथों में होता है, लेकिन मां दंतेश्वरी मंदिर में सदियों से यादव समुदाय के लोग माता की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।
गाय पिला रही थी मूर्ति को दूध
मंदिर के अस्तित्व में आने के संबंध में मान्यता है कि मां दंतेश्वरी मंदिर के आस-पास तब न तो घर था और न ही बसाहट। यहां पर दूर-दूर तक जंगल और खेती-बाड़ी हुआ करती थी। मंदिर के ठीक सामने साहाड़ा देव स्थापित थे, जहां रोज गायें एकत्रित होती थीं। तब यह स्थान रायपुर का सबसे बड़ा गौठान था।
यहां ग्वालिनों का आना-जाना लगा रहता था। एक दिन गणेशिया बाई नाम की ग्वालिन ने देखा कि गौ माता के थन से लगातार दूध प्रवाहित हो रहा है और यह दूध एक मूर्ति के ऊपर पड़ रही है। ग्वालिन ने निकट जाकर देखा तो मूर्ति का विराट स्वरूप नजर आया। इस चमत्कारिक घटना की सूचना उसने आस-पास के लोगों को दी।
इसके बाद लोगों ने मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने का संकल्प लिया। मंदिर के पूर्व सचिव स्वर्गीय चेतन सिंह ठाकुर के पुत्र मोहन सिंह ठाकुर बताते हैं कि मंदिर पर विपदाओं का कभी असर नहीं हुआ। एक बार गुंबद पर गाज गिर चुकी है, लेकिन मां के गर्भगृह में इसकी आंच तक नहीं पहुंची।